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चतुर्थ : कूष्मांडा

दुर्गा मां के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मंद-मंद हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण भी इन्हें कूष्माण्डा देवी कहा जाता है। इनकी आठ भुजाएं हैं। सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चंद्र तथा गदा हैं। मां कूष्मांडा देवी की उपासना नवरात्र […]
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दुर्गा मां के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। मंद-मंद हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण भी इन्हें कूष्माण्डा देवी कहा जाता है। इनकी आठ भुजाएं हैं। सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चंद्र तथा गदा हैं।
मां कूष्मांडा देवी की उपासना नवरात्र के चौथे दिन की जाती है। भक्तगण मन से इस श्लोक को पढ़कर मां की पूजा करते हैं—
‘सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपदमाभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु में॥’

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